Class 2, Lesson 33: अच्छा सामरी

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Lesson Text

एक मनुष्य *यरूशलेम से परीहों जा रहा था | रास्ते मे डाकुओं ने उसे लूट लिपा , और मार -पीट कर उसे अधमरा छोड़ कर चले गए | उसी रास्ते से एक पाजक आपा और उस असहाप मनुष्य को देखा |परन्तु वह न रुका और न ही परवाह की | वह ऐसे चला गया जैसे कि उसने देखा ही नहीं |कुछ समय पश्चाताप एक लेवी वहाँ से निकला ,परन्तु उसने भी घायल व्यक्ति की कोई परवाह न की |उसने भी उसे देखा और अपने रास्ते चला गया | फिर एक सामरी यात्री वहाँ से निकला |जब उसने उस अधमरे व्यक्ति को देखा ,तो उस पर तरस खाया| वह अपने गदहे पर से उतरकर उसने पास आया |और उसके घावों पर तेल और दाखरस डालकर पट्टियाँ बाँधी ,और अपने गदहे पर चड़ाकर सराय में लें गया और उसकी सेवा की |अगले दिन उसने सराय के मालिक को दो दीनार देकर कहा ,''इसकी सेवा करना ,और जो तेरा और खर्चा होगा ,वह मैं वापस आकर दे दूँगा |'' सामरी प्रभु यीशु मसीह की तस्वीर है |परमेश्वर से दूर रह कर हम भी उस घायल व्यक्ति की तरह है जो स्वयअपनी सहायता नहीं कर सकते |मात्र प्रभु यीशु मसीह जो हमारे लिए अपना प्राण देने आए ,हमे लुटेरे शैतान से बचाकर उसके दिए पाप रूपी घाव को चंगा कर सकते है |हम यह भी सीखते है कि हमे उन लोगों की सहायता करनी चाहिए जिनको उसकी आवश्यकता है | उसने दाखरस और तेल उण्डेला ; मेरी आत्मा को चंगा किया , यरीहों के किनारे अधमुआ पाया , उसने दाखरस और तेल उण्डेला| यीशु, यीशु यीशु [3] मैने उसको पा लिया [3] मैने यीशु को पा लिया |

Excercies

Song

उसने दाखरस और तेल उण्डेला मेरी आत्मा को चंगा किया यरीहो के किनारे अधमुआ पड़ा यीशु - यीशु - यीशु मैंने उसको पा लिया (3) मैंने उसको पा लिया ।