Class 2, Lesson 31: कनानी औरत

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Lesson Text

प्रभ यीशु रोगियों को चंगा करते हुए और लोगों को सिखाते हुए जगह -जगह जा रहे थे |एक दिन एक कनानी स्त्री रोते हुक प्रभु के पास आकर कहनों लगी , "हे प्रभू ,दाऊद की सन्तान ,मुझ पर दपा कर ! मेरी बेटी की दुष्टात्मा बहुत सता रहा है |'' प्रभु ने उसे कुछ उत्तर नही दीपा | चेलों ने प्रभु से विनती करते कहा ,''इसे विदा कर ,क्योंकि वह हमारे पीछे चिल्लाती आती है |'' प्रभु ने उतर दिपा , मैं इस्राएल की खोई हुई भेड़ों के पास भेजा गया हूँ | जब वह निरंतर विनती करती रही ,तब प्रभु ने उससे कहा ,"लड़कों की रोटी लेकर कुत्तों के आगे डालना अच्छा नहीं । "उसने अपनी विनती जारी रखी और कहा ,"सत्य है प्रभु ,पर कुत्ते भी वह चूरचार खाते हैं ,जो उनके स्वामियों की मेज से गिरते हैं । "इस पर प्रभु यीशु ने उसे उत्तर दिया ,:हे स्त्री ,तेरा विश्वास बड़ा है !जैसा तू चाहती है ,तेरे लिए ववैसा ही हो । "और उसकी बेटी उसी समय स्वस्थ हो गई ।

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