Class 2, Lesson 3: इब्राहीम की बुलाहट

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Lesson Text

एक दिन महिमामय परमेश्वर ने इब्राहीम को दर्शन देकर कहा, "अपने देश और अपने लोगों को छोड़कर उस देश को जाओ जो मैं तुम्हें दिखाऊँगा" | ऊर देश के लोगों मूर्ति पूजक थे | जब इब्राहीम ने परमेश्वर की बुलाहट को सुना ,तब उसने विश्वास किया और वही किया जो उससे कहा गया था | परमेश्वर ने इब्राहीम से बहुत वायदे भी किए | परमेश्वर ने कहा ,"मैं तुझे आशीष दूँगा ,तुझे एक बड़ी जाति बनाऊँगा ,तेरा नाम महान करूँगा और सभी राष्ट्रों के लिए आशीष का कारण बनाऊँगा | एक अनजान देश में जाने के लिए अपना घर छोड़ देना , इब्राहीम और सारा को मूर्खतापूर्ण लगा होगा |फिर भी ,इब्राहीम ने परमेश्वर पर विश्वास किया और कोई प्रशन किए बगैर ही निकल चला | उसका पिता तेरह और भतीजा लूत अपने परिवार सहित उसके साथ हो लिए |वे हारान नाम स्थान पर पहुँचे जहाँ कुछ समय पश्चात तेरह की मृत्यु हो गई | तेरह की मृत्यु के बाद परमेश्वर की आज्ञानुसार इब्राहीम अपनी पत्नी सारा को लेकर कनान देश की तरफ चला |उसका भतीजा लूत भी उनके साथ गया |जहाँ कहीं भी इब्राहीम ठहरा ,वहाँ पर उसने परमेश्वर के लिए बलिदान चढ़ाने के लिए वेदी बनाई |जब वह कनान पहुँचा ,तब परमेश्वर ने उससे कहा ," यही वह स्थान है जो मैं तुम्हारे वंश को दूँगा |"

Excercies

Song

1. यीशु के पीछे में चलने लगा (3) न लौटूँगा (2) 2. गर कोई मेरे साथ न आवे (3) न लौटूँगा (2) 3. संसार को छोड़कर, सलीब को लेकर (3) न लौटूँगा (2) 4. संसार में सबसे प्रभु है कीमती (3) न छोड़ूँगा (2) 5. अगर मैं उसका इन्कार न करूँ (3) ताज पाऊँगा (2)