Audio | Prayer | Song | Instrumental |
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एक दिन प्रभु यीशु अपने शिष्यों के साथ झील के पार गिरासेनियों के देश में गए |जब प्रभु नाव से उतरे ,तब एक मनुष्य उनसे मिला जिसमें अशुद्ध आत्मा थी |यह मनुष्य कब्रों में रहा करता था और उसको कोई भी काबू में नहीं कर सकता था |वह बार -बार बेड़ियों और संकलों के टुकड़े -टुकड़े कर देता था |वह लगातार कब्रों और पहाड़ों पर चिल्लाता और अपने आप को पत्थरों से घायल करता था |आस -पास के रहने वालो उससे डरते थे | जब इस मनुष्य ने प्रभु यीशु को देखा ,तब उसके अंदर के अशुद्ध आत्माओं को पता था कि वह कौन है |वह भागता हुआ आया और प्रभु को प्रणाम किया |फिर ऊँचे शब्द से चिल्लाकर कहा ,हे यीशु ,प्रमप्रधान परमेश्वर के पुत्र ,मुझे तुझसे क्या काम ?मुझे पीड़ा न दे |क्योंकि प्रभु ने उससे कहा था ,कि "हे अशुद्ध आत्मा ,इस मनुष्य में से निकाल आ |" प्रभु ने जब उससे उसका नाम पूछा ,तब उसने कहा ,"मेरा नाम सेना है ,क्योंकि हम बहुत हैं |"(रोमी सेना की एक टुकड़ी में छ :हज़ार सैनिक होते थे |)उसके कहने का अर्थ यह था कि वह अनेक अशुद्ध आत्माओं से ग्रसित है |उसने प्रभु से बहुत विनती की कि उन्हें इस देश से बाहर न भेजे |वहाँ पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था |उन्होंने प्रभु से विनती करके कहा ,"हमें उन सूअरों में भेज दे ,कि हम उनके भीतर जाएँ |प्रभु ने उन्हें आज्ञा दी और वे अशुद्ध आत्माएँ उस मनुष्य में से निकलकर सूअरों के भीतर पैठ गईं |और झुण्ड जो कोई दो हज़ार का था ,कड़ाड़े पर से झपटकर झील पर जा पड़ा और डूब मरा | उनके चरवाहों ने भागकर नगर और गाँवों में समाचार सुनाया ,और लोग उसे देखने आए |वे उसको जिसमें दुष्टत्माएँ थीं ,कपड़े पहिने और प्रभु के पास सचेत बैठे देखकर डर गए |उन्होंने प्रभु यीशु से विनती की कि वहाँ से चले जाएँ |जिसमें पहले दुष्टात्मा थी ,वह प्रभु के साथ रहना चाहता था |परन्तु प्रभु ने उससे कहा ,"अपने घर जाकर अपने लोगों को बता कि प्रभु ने तेरे लिए कैसे बड़े काम किए है |"तब वह जाकर दिकपुलिस (जिसमें दस शहर आते हैं )में इस बात का प्रचार करने लगा ,कि यीशु ने उसके लिए कैसे बड़े काम किए हैं |और सब अचम्भा करते थे |
यीशु ही के नाम से यीशु ही के खून से मिलती है हमको जय (हाल्लेलूयाह ) यीशु ही के नाम से यीशु ही के खून से शैतान को भागना है । जब हम यीशु नाम से लड़ते सामना कौन कर सकता है यीशु ही की शक्तिशाली नाम से मिलती है हमको जय ।