Audio | Prayer | Song | Instrumental |
---|---|---|---|
हमने देखा कि कैसे एलीशा ने अपना कार्य आरंभ किया |आज हम उसके आश्चर्यकर्म के बारे में सीखेंगे | इस्रएल देश में परमेश्वर की सेवा करते हुए एलीशा जगह -जगह गया |एक दी वह शुनेम नाम की जगह पहुँचा तो एक अमीर स्री ने उसे अपने घर पर भोजन के लिए आमंत्रित किया |उसके पश्चात जब भी वह उसे रास्ते से जाता ,तो भोजन के लिए उस घर में जाता था | उस स्री और उसके पति ने देखा की एलीशा परमेश्वर का भक्त है ,इसलिए वे उसके ठहरने के लिए एक कमरा बनवा कर उसका आदर करना चाहते थे |एक दिन कमरे में आराम करते हुए एलीशा ने उस स्री को बुलवाया और उससे पूछा की तू कि जो हमारे ध्यान रखती है ,तेरी इस दया के बदले तेरे लिए क्या किया जाए ?उसने कुछ नहीं माँगा परन्तु सेवक गेहजी ने एलीशा को याद दिलाया कि वह निस्संतान है |एलीशा ने वादा किया कि एक साल में उसके पास पुत्र होगा |ऐसा ही हुआ |उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ जो माता पिता के आनंद का कारण बन गया | एक दिन वह लड़का अचानक बीमार हो गया ,जब वह खेत में अपने पिता और मजदूरों के साथ था |उसके पिता ने एक सेवक के साथ उसे उसकी माता के पास भेज दिया |वह दोपहर तक उसकी सेवा करती रही परंतु वह मर गया |उस स्री ने लड़के को भविष्यदकता के बिस्तर पर लिटा कर द्वार बंद कर दिया |अपने पति को पुत्र की मृत्यु के बारे में बताए बिना ही उसने कहा की परमेश्वर के भक्त के पास जाने के लिए एक सेवक और एक गदही तुरंत भेज दे |वह कम्रल पर्वत पर परमेश्वर के भक्त के पास पहुँची और व्यकुल होकर उसके पैरों पर गिर पड़ी | जब एलीशा को लड़के की मृत्यु का पता चला ,तब उसने गेहजी से कहा ,"अपनी कमर बाँध ,और मेरी छड़ी हाथ में लेकर चला जा ,मार्ग में यदि कोई तुझे मिले, तो उसका कुशल न पूछना ,और कोई तेरा कुशल पूछे ,तो उसको उत्तर न देना ,और मेरी यह छड़ी उस लड़के के मुँह पर रख देना |" गेहजी चला गया ,परन्तु उस स्री ने एलिशा के बगैर जाना नहीं चाहा |अत :एलीशा उसके साथ गया |गेहजी ने घर पहुँचकर उसी छड़ी को लड़के के मुँह पर रखा ,परन्तु कुछ नहीं हुआ |उसने वापस जाकर एलीशा से कहा ,"लड़का नहीं जागा |"एलीशा ने कमरे में आकर लड़के को अपने पलंग पर पड़े देखा |उसने सबको कमरे से बाहर कर दिया ,किवाड़ बंद करके परमेश्वर से प्राथना की |तब वह चढ़कर लड़के पर इस तरह लेट गया की अपना मुँह लड़के के मुँह पर ,और अपनी आँखे उसकी आँखों से ,और अपने हाथ उसके हाथों से मिला दिए और वह लड़के पसर गया ,और लड़के की देह गर्म होने लगी |एलीशा उठकर इधर -उधर टहलने लगा ,और फिर चढ़कर लड़के का पसर गया |तब लड़के ने सात बार छींका ,और अपनी आँखे खोलीं |एलीशा ने गेहजी को बुलाकर कहा की लड़के की माता को बुला ले |जब वह आई ,तब उसने "अपने बेटे को उठा ले |"वह भीतर आई और एलीशा के पाँवों पर गिरकर ,भूमि तक झुककर दंडवत किया |फिर अपने बेटे को उठाकर चली गई |
Not Available