Class 2, Lesson 20: दाऊद का अभिषेक

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अमालेकियों के साथ युद्ध में शाऊल ने परमेश्वर की आज्ञा को नहीं माना और इसी कारण उसने परमेश्वर की आशीष और राजगद्दी को भी खो दिया। शाऊल इसके लिए खेदित था, परन्तु वह परमेश्वर की ओर नहीं फिरा और ना ही पाप का प्रायशिचत किया। तब परमेश्वर ने शमूएल को कहा, कि बेतलहमवासी यिशै के पुत्र को दूसरा राजा होने के लिए अभिषेक कर। शमूएल, शाऊल से भयभीत था, परन्तु परमेश्वर ने कहा जा और एक बलिदान चढ़ा, जिसमें तू यिशै के पुत्रों को आमंत्रित करना। शमूएल ने परमेश्वर की आज्ञा को मानकर बेतलहम गया, जहाँ उस नगर के बुजुर्गों ने उसका स्वागत भय और सम्मान के साथ किया। जब यिशै और उसके पुत्र आए, तब शमूएल ने उसके पुत्रों को अपने पास आने को कहा, एलिआब को पुकारा जो सबसे बड़ा और सुंदर जवान था। शमूएल उसे अभिषेक करना चाहता था, परन्तु परमेश्वर का आत्मा ने उसे रोक और कहा "मैंने इसे नहीं चुना" इस तरह यिशै के छह पुत्र एक-एक करके उसके सामने आए, परन्तु परमेश्वर ने उनमें से किसी को नहीं चुना। तब शमूएल ने यिशै से कहा "क्या तुम्हारे पास और कोई पुत्र बच गया है? तब यिशै ने अपने सबसे छोटे पुत्र दाऊद को बुलाया, जो मैदान में भेड़ चरा रहा था, उसके चेहरे से लाली झलकती थी, उसकी आँखें सुंदर और चेहरा रूपवान था। शमूएल के समान परमेश्वर ने उसके बाहरी रूप को नहीं देखा, पर परमेश्वर ने दाऊद के हृदय को देखा और उसी को राजा होने के लिए चुना। शमूएल ने दाऊद को तेल से अभिषेक किया और उसी दिन से परमेश्वर का आत्मा उस पर आ गया। उस समय परमेश्वर का आत्मा शाऊल पर से उठ गया और उस पर एक दुष्ट आत्मा आ गई। उसके कर्मचारियों ने शाऊल को सलाह दी, कि उसके लिए कोई वीणा बजाए ताकि बुरी आत्मा निकल जाए। जब शाऊल सहमत हो गया, तब उसके एक कर्मचारी ने कहा, दाऊद जो यिशै का पुत्र है वह वीणा बजाने में निपुण है। दाऊद को शाऊल के साथ रहकर उसे यह ज्ञान प्राप्त हुआ, कि एक राजा किस रीति से जीता और कार्य करता है।

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