Audio | Prayer | Song | Instrumental |
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यह वह समय था जब परमेश्वर की ओर से कोई प्रकटीकरण या संदेश नहीं मिलता था ।उस समय एली इस्रएल में याजक था ।यधपि वह एक धर्मी पुरुष था और परमेश्वर के सम्मुख विस्वस्त भी था ,परन्तु उसने अपने लड़कों को अनुशासन में नहीं रखा था ।क्योंकि एली बूढ़ा हो गया था और उसको ठीक से दिखाई नहीं देता था ,इसलिए उसके पुत्र इस्रएली लोगों के लाए हुए बलिदान चढ़ाते थे ,परन्तु वे परमेश्वर के द्वारा दिए गए निर्दोषों का पालन नहीं करते थे । बलिदान के माँस में से वे उनके साथ दुर्व्यवहार करते थे। इसलिए लोगों ने उन्हे तुच्छ जाना और वे बलिदान लेकर तम्बू में आने से कतराने लगे ,और परमेश्वर का निरादर हो रहा था ।सब कुछ जानते हुए भी एली अपने पुत्रों पर नियंत्रण नहीं कर सका । उस समय इस्राएलियों का पलिश्ती के साथ युद्ध हों रहा था।इस्राएली अपने शत्रु पर विजय प्राप्त नहीं कर पा रहे थे ,क्योंकि वे परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर रहे थे । पश्चाताप करके परमेश्वर से प्रार्थना करने के बजाय एली के पुत्र होप्नी और पिनहास परमेश्वर के संदूक को पवित्र स्थान से निकालकर युद्ध भूमि में ले गए ।उन्होंने सोच कि संदूक की उपस्थिति उन्हें विजय प्रदान करेगी। एली द्वार पर बैठा युद्ध का समाचार सुनने का इंतजार कहा कि उसके दोनों पुत्र होप्नी और पीनहास मारे गए हैं ,और पलिश्ती परमेश्वर का संदूक छीन ले गए हैं ।इस भयंकर खबर को सुनकर एली अपनी कुर्सी पर से गिरा ,उसकी गर्दन टूट गई और उसकी मृत्यु हो गई। एली याजक की मृत्यु कितनी भयंकर थी !परमेश्वर की उपस्थिति में उसका कितना सम्मानजनक पद था परन्तु उसके पुत्रों ने उसे केवल दुख दिया । उन्होंने अपने पिता की आज्ञा नहीं मानी और परमेश्वर के वचन को तुच्छ जाना |वे परमेश्वर के सेवाकार्य में शर्मिंदगी लाए |परमेश्वर का पूरा न्याय एक ही दिन में उन पर आ गया |
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