Class 2, Lesson 14: मिस्र से आज़ादी

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Lesson Text

परमेश्वर ने मूसा से कहा, "एक ओर विपत्ति मैं फिरौन पर डालूँगा | तब फिरौन तुम्हें जाने देगा, और वह तुम्हें निकल देगा |" परमेश्वर ने मूसा को बताया की वे क्या करने वाले हैं, और किस प्रकार इस्राएली उस विपत्ति से बच सकते हैं | परमेश्वर ने कहा, "आधी रात को, नाश करने वाला दूत मिस्र देश में से निकलेगा, और हर एक परिवार का पहलौठा मर जाएगा | इस विपत्ति से बचने के लिए इस्राएली लोग अपने-अपने परिवार के लिए एक-एक मेम्ना लें | मेम्ना एक वर्ष का हो, वह नर हो और उसमें कोई दोष न हो, उसे महीने के दसवें दिन लेना और चौदहवें दिन तक रखे रहना | फिर संध्या को उसको मारकर उसका खून अपने घर के दरवाजे के अलंगों और चौखट पर छिड़कना | नाश करने वाला दूत खून को देखकर उस घर को छोड़ कर आगे निकल जाएगा |" इस प्रकार बलि किए जाने वाले मेम्ने का पर्व "फसह" कहलाया | सभी इस्राएलियों ने मूसा की आज्ञा का पालन किया | यह पहला फसह था | आधी रात को नाश करनेवाला दूत, उस देश से होकर गुज़रा, परन्तु जिन घरों पर खून लगा था, उन्हें छोड़ कर आगे बढ़ गया | उस रात मिस्रियों के घरों में बड़ा हाहाकार मचा, परन्तु इस्राएलियों के लिए यह आनंद और महान छुटकारे की रात थी | फिरौन और मिस्रियों ने उन्हें शीघ्रता से निकल दिया, और उन्होंने जो चाँदी, सोना और वस्त्र मांगे, वह सब भी दे दिया | इस्राएली अपना सब कुछ लेकर एक बड़ी सेना की तरह मिस्र से निकल गए | जब तक वे लाल समुद्र के तट पर पहुँचे, फिरौन का मन बदल गया और उसने अपनी सेना लेकर उनको वापस लाने के लिए उनका पीछा किया | इस्राएली अत्यंत डर गए क्योंकि उनके आगे लाल समुद्र और पीछे फिरौन की सेना थी, और बचने का कोई रास्ता नहीं था | इस संकट के समय परमेश्वर ने उनकी दोहाई का उत्तर दिया | परमेश्वर की आज्ञानुसार मूसा ने अपनी लाठी उठाकर समुद्र के ऊपर बढ़ाई और समुद्र दो भागों में बँट कर सूखी भूमि दिखाई देने लगी, और इस्राएली सुरक्षित पार चले गए | परन्तु जब फिरौन की सेना ने उनका पीछा किया, तब समुद्र का जल फिर पहले जैसा हो गया और फिरौन की सेना समुद्र में नाश हो गई |

Excercies

Song

मन को लूभायूँ सामर्थ वचन, ध्यान करूँ तब ऐसा वर दे, की हरेक दिलों की जरूरत जानकर, जीवन जल बहा दे (2) लाजर को जीवन दिया था, दासों के कानों में भी, आज सुनादे जीवन का वचन, यह मुर्दे ललकारे। (2) तेरा जन तुझ पर मजबूत बनने के लिए, स्वर्ग की वर्षा भेज दे प्रभु जी, दुख मिटाता तेरा मधुर वाणी, जीवन का अमृत है । (2)