Audio | Prayer | Song | Instrumental |
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नूह के दिनों में मनुष्य बहुत ही दुष्ट थे | हम जानते हैं कि परमेशवर पाप से घृणा करते हैं |धर्मी परमेशवर पाप को दंड दिए बगैर नहीं रह सकते |उन्होंने मनुष्यजाति को बाढ़ से नष्ट करने का निशचय किया |परमेशवर ने सब मनुष्यों में मात्र एक ही व्यक्ति को धर्मी पाया , और वह था- नूह |बाइबल में लिखा है ,"परमेशवर के अनुग्रह की दृष्टि नूह पर बनी रहे | ( उत्पति 6-8 )|नूह के विषय में यह भी कहा गया है, "अपने विश्वास के कारण उसने संसार को दोषी ठहराया , और उस धर्म का वारिस हुआ , जो विश्वाससे होता है|"(इब्रा .11:7)| परमेशवर ने नूह से कहा ,"मनुष्यों के उपद्रव से पृथ्वी भर गई है , इसलिए मैं मनुष्यों और पृथ्वी, दोनों को नष्ट करूंगा | इसलिए तू अपने लिए गोपेर वृक्ष की लकड़ी का जहाज बना, और उसमे कमरे बना और उस पर अंदर और बाहर राल लगाना | " परमेश्वर ने नूह को उस जहाज का नाप भी दिया | 450 फुट लंबा' 75 फुट चौड़ा और 45 फुट ऊंचा बनाया जाना था | जहाज को 3 खण्डों में विभाजित किया जाना था', निचला, मध्य व ऊपरी | उसमें एक खिड़की और एक द्वार बनाया जाना था | नूह ने ठीक वही किया जो परमेश्वर ने उससे कहा था | जहाज बनाने में नूह को लगभग सौ वर्ष लगे | और वह लोगों से प्रचार करता रहा, और अनेवाली बाढ़ के बारे में छितौनी देता रहा, ताकि वे जहाज में प्रवेश करके बच सकें | फिर भी किसी ने विश्वास नहीं किया | नूह की पत्नी और तीन विवाहित पुत्र भी थे | जब जहाज बनकर तय्यार हो गया, तब सही समय पर परमेश्वर ने नूह को परिवार समेत जहाज में जाने की आज्ञा दी, और हर एक जाती के पक्षी और जानवरों के जोड़े को अपने साथ ले जाने को कहा | बलिदान के योग्य शुद्ध जानवरों की सात सात जोड़े जहाज में गए| सबके अंदर जाने के पश्चात स्वयं परमेश्वर ने द्वार बंद कर किया | एक सप्ताह के बाद वर्षा होने लगी | उस समय तक लोगों के लिए, बारिश एक अनजान बात थी, क्योंकि पृथ्वी से जो कोहरा उठता था , उसी से पृथ्वी सिंच जाती थी | 40 दिन और 40 रात निरंतर वर्षा होती रही और पूरी पृथ्वी पानी से भर गई |पृथ्वी पर चलने वाले सभी प्राणी मर गए|परन्तु जहाज पानी पर सुरक्षित तैरता रहा |जहाज के अंदर सभी सुरक्षित थे |बाढ़ का पानी 150 दिन तक पृथ्वी पर भरा रहा | परमेश्वर ने नूह को और अन्य सभी प्राणियों को स्मरण रखा |बाढ़ का पानी कम होने लगा |अंतत : परमेश्वर ने नूह को जहाज से बाहर आने को कहा |वह अपनी पत्नी , अपने तीन बेटों और उनकी पत्नियों समेत बाहर आया और अपने साथ सभी पशु - पक्षियों को भी लाया |धन्यवादी ह्रदय से नूह ने परमेश्वर के लिए बलिदान चढ़ाया |
चट्टान पर बुद्धिमान ने बनाया अपना घर (3) और जोर से बारिश आई जोर से बारिश आई और तूफान भी उठा (3) और बुद्धिमान का घर स्थिर रहा । बालू पर मूर्ख ने बनाया अपना घर (3) और जोर से बारिश आई जोर से बारिश आई और तूफान भी उठा (3) और मूर्ख का घर गिर पड़ा । जीवन की नीव यीशु पर रखनेवाले (3) आंधी तूफ़ानों में नही गिरेगा (2) और यदि अपने दिल में यीशु को आने दो (2) तो स्वर्गीय मिरास पाएंगे लड़के लड़कियों को स्वर्ग जाना चाह है(3) अपने दिल में यीशु को आने दो (2)