Class 1, Lesson 8: इब्राहीम और इसहाक

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Lesson Text

जल प्रलय के बाद नूह का परिवार बढ़ता गया, और उनके द्वारा कई राष्ट्र उत्त्पन्न हुए। फिर लोग जीवित परमेश्वर को भूल गए और मूर्ती पुजक बन गए। सारे जगत में दुष्टता भरी हुई थी। परन्तु मनुष्य के प्रति परमेश्वर की एक योजना थी। वह अपने लिए एक परिवार को अलग करना चाहता था, जो संसार में जीवित परमेश्वर के लिए गवाह बने। मेसोपोटामिया का एक नगर था उर, (वर्तमान का इरान ) वहां अब्राहम नामक एक व्यक्ति रहता था। एक दिन परमेश्वर ने उस से कहा! “अपने देश, लोग और पिता का घर छोड़कर उस देश को चला जा जो मै तुझे दिखाउंगा। मै तुझे से एक महान राष्ट्र बनाउंगा । मै तुझे आशिषीत करुंगा ; तेरा नाम महान होगा और तू आशिष का मूल ठहरेगा।” उसने परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया और अपनी पत्नी सारा के साथ निकल पड़ा। कनान देश पहुंचने पर परमेश्वर ने उस से कहा! “यही वह स्थान है जो मै तेरी सन्तान को देनेवाला हूं ”(उत्त्पति 12:7 ) अब्राहम ने एक वेदी बनाकर परमेश्वर की उपासना की। उस की कोई सन्तान न होने पर भी उसने परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर विश्वास किया। इब्राहीम की आयु बढ़ रही थी, वह सौ वर्ष का और उसकी पत्नी सारा नब्बे वर्ष की थी। तब परमेश्वर ने उन्हें एक बेटा दिया, जिसका नाम इसहाक रखा गया। कुछ सालों के बाद जब इसहाक बढ़ रहा था, परमेश्वर ने इब्राहीम की परीक्षा लेकर देखना चाहा कि इब्राहीम का विश्वास कितना गहरा है। उसने इब्रहीम से कहा कि वह अपने बेटे को लेकर मोरिय्याह पहाड़ पर उसे बलि करके चढ़ाए। इब्राहीम को यह बात समझ में नहीं आई परन्तु वह जानता था कि परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना आवश्यक है। उसने सोचा कि यदि वह इसहाक को मार भी दे तो परमेश्वर उसे जिलाकर अपनी प्रतिज्ञा को पुरी करेगा। दूसरे दिन भोर को उठकर इब्राहीम ने गदहे को तैयार किया, और अपने साथ अपने बेटे इसहाक और दो सेवकों को लिया। उसने होमबलि के लिए लकड़ी और छुरी भी ली। तीन दिनों के बाद उसने दूर में मोरिय्याह पहाड़ को देखा। तब उसने अपने सेवकों से कहा ” लड़के को लेकर वहां जाक क्षेत्रर आने तक तुम यहीं पर गदहे के साथ रुकना, हम आराधना करके फिर तुम्हारे पास आएंगे “उसने इसहाक को लकड़ी उठाने को दे दी। उसने स्वयं आग और छुरी अपने हाथ में ली। तब इसहाक ने यह देखकर कि हमेशा की तरह उनके पास बलि चढाने के लिए मेम्ना नहीं है तो, अपने पिता से पूछा, “आग और लकडी तो हमारे पास है, पर मेमना कहा है?” इब्राहीम ने कहा, “मेरे बेटे, परमेश्वर खुद हमारे लिए उपाय करेगा।” उस स्थान पर पहुचंने पर इब्राहीम ने वेदी बनाकर लकड़ियां सजाई। तब उसने अपने बेटे को बांधकर उसे लकड़ियों पर लिटाया। जब उसने अपने हाथ में छुरी उठाई उसने स्वर्ग से यह कहते हुए एक आवाज़ सुनी! “इब्राहीम, इब्राहीम! उसने कहा की, मै यहां हूं।” प्रभु के दूत ने कहा; “लड़के को मत छू! उसें कुछ मत कर, मै जान गया हूं कि तु मुझ पर कितना भरोसा करता है। तू मेरे लिए अपना बेटा भी दे देने से नहीं रुका।” इब्राहीम ने नज़र उठाकर देखा कि एक मेढ़ा अपने सींग के कारण झाड़ी में फंसा हुआ है। उसने इसहाक के स्थान पर उस मेढ़े को वेदी पर चढ़ाया। परमेश्वर ने वास्तव में बलि का उपाय किया। इब्राहीम ने उस स्थान का नाम यहोवा यिरे रखा ( परमेश्वर उपाय करेगा )। इसी स्थान पर इब्राहीम और इसहाक के वंश सुलेमान ने बाद में मन्दिर बनाया था। ( 2 इति 3:1 ) परमेश्वर के दूत ने फिर इब्राहीम से कहा, “क्योंकि तू अपना बेटा देने को भी तैयार था, मैं तुझे बहुतायत से आशिषित करुंगा और तेरे वंश को आकाश के तारों और समुद्र के बालू के समान बढ़ाऊंगा। और तेरे परिवार के द्वारा पृथ्वी के सारे राष्ट्र आशिष पाएंगे। ” इब्राहीम और इसहाक अपने सेवको के साथ घर लौटे । अपने विश्वास और आज्ञाकारिता के कारण इब्राहीम विश्वास का पिता कहलाता है।

Excercies

Song

अब्राहम का प्यारा बेटा इसहाक चला होने स्वयं बलिदान बोझ उठाया लकड़ी का,पिता ने डाला था मोरिय्याह पहाड़ तक उसको बांधकर,वेदी पर लेटाया वह फिर भी रहा चुप वह मरने तक था वफादार (2) प्रभु यीशु के समान ।