Class 1, Lesson 29: मंदिर में बालक यीशु

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Lesson Text

ज्ञानीयों को अपने देश लौटने के बाद स्वर्गदूत ने को दर्शन में कहा, कि यूसुफ हेरोदेश बच्चे को मारना चाहता है इसलिए बालक की रक्षा के लिए बालक और उसकी मॉ को लेकर मिस्र को चला जाए। यूसुफ ने वैसा ही किया। वे मिस्र मे हेरोदेश की मृत्यु तक रहे। तब दूत ने यूसुफ से कहा कि वह इस्राएल को लौट जाए। परन्तु जब यूसुफ ने जाना कि हेरोदेश का बेटा यहूदा मे राज्य करता है तो वह वहां जाने से डरा। तब परमेश्वर ने उसे गलील के नासरत में जाने को कहा। वहां वह एक आज्ञाकारी लड़का बनकर रहा और हर कोई उसे पसंद करता था। फसह के पर्ब के समय यहूदी हर वर्ष यरुशलेम को जाते थे। इसी तरह एक बार यूसुफ , मरियम और यीशु अपने परिवारों के साथ यरूशलेम को गए। उस समय यीशु की आयु बारह वर्ष की थी। पर्ब के दिन बीतने पर वे फिर एक साथ होकर नासरत को लौटने लगे। यीशु यरुशलेम में ही रह गया, परन्तु वे नहीं जानते थे। यह सोचकर कि वह भी हमारे साथ है उन्होंने एक दिन का सफर तय कर लिया। उन्होंने पडोसियों और रिश्तेदारों से पुछताछ की। जब उन्हे यीशु नहीं मिला तो वे उसे ढुढं ने यरुशलेम लोटे तीन दिनों की खोज के बाद वह उन्हे शिक्षकों के बीच उनकी बातें सुनता और उनसे सवाल करता हुआ मन्दिर के आंगनों मे मिला। उसको सुननेवाले उसके उत्तर और ज्ञान से चकित हुए। मरियम ने उस से कहा, " बेटे तु ने हमारे साथ ऐसा क्यों किया? तेरा पिता और मै बडी चिन्ता के साथ तुझे ढुढं रहे थे "यीशु ने उससे कहा, मुझे अपने पिता के भवन में होना अवश्य है ।" परन्तु वे उसकी बात नहीं समझे । यीशु अपने माता पिता के साथ यरुशलेम लौटा और उनके अधीन होकर रहा। ये एक ओरै कार्य था जिस पर मरियम ने विचार किया। हम बच्चों को यीशु के समान होना चाहिए परमेश्वर के कार्यों मे व्यस्त और माता पिता की आज्ञाओ को पालन करनेवाले।

Excercies

Song

छोटे छोटे मुंह से बोलो मीठी मीठी बातें हर घड़ी हर पल में बोलो यीशु की ही बातें। (2) 1 देश में, परदेश में, गाँव में, शहर में, हर घड़ी हर पल में बोलो यीशु की ही बातें। 2 स्कूल में, कौलेज में, घर में, पड़ोस में, हर घड़ी हर पल में बोलो यीशु की ही बातें। 3 दिल में, दिमाग में, ख्वाब में, ख्याल में, हर घड़ी हर पल में सोचो यीशु की ही बातें।