Class 1, Lesson 27: बालक यीशु और चरवाह

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रोम के सम्राट ने आदेश दिया कि सारे रोम राज्य में लोग नामांकन्र करें । हर किसी को अपने नगर में जाकर नामांकन्र कराना था। यूसुफ और मरियम नासरत में रहते थे परन्तु वे बैतलहम के घराने से थे। इसलिए वे भी बहुतों के साथ बैतलहम को गए। वहा पहुचंने पर सराय में जगह न होने के कारण उन्हे रहने को जगह नहीं मिली। उन्होंने पशुशाला में पनाह ली। उसी जगह मरियम ने यीशु को जन्म दिया। उसने उसे कपड़ों मे लपेटकर चरनी में रखा था । उस रात बैतलहम के करीब कुछ चरवाहे अपने भेडों की रखवाली कर रहे थे।अचानक उनके चारों ओर ज्योति चमकी और एक स्वर्गदूत प्रगट होकर उनसे कहने लगा, "मत डरो,क्यूंकि देखो मै तुम्हे बड़े आनन्द का सुसमाचार सुनाता हॅुं जो सारे लोगों के लिए होगा । आज तुम्हारे लिए दाउद के नगर में एक उद्धारकर्ता जन्मा है, जो प्रभु और मसीह है ।" तब उन्हों ने अनगिनीत संख्या में स्वर्गदूतों को परमेश्वर की महिमा करते और ये गीत गाते सुना। ( आकाश में परमेश्वर की महिमा हो, और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिन से वह प्रसन्न है शान्ति हो ।) चरवाहे अचम्भित हुए। वह उसी रात बैतलहम को गए, और स्वर्गदतू के कहने के अनुसार बालक को चरनी में कपड़ों में लिपटा हुआ पाया। उन्हों ने सब को स्वर्गदूतों ने जो कहा था और जो उन्होने देखा था कह सुनाया। सुनने वाले को इन बातों से आश्चर्य हुआ। परन्तु मरियम ने इन सारी बातों को अपने मन में रखकर उन पर विचार किया। चरवाहे परमेश्वर की महिमा करते हुए खेतों मे लौट गए। हमे भी परमेश्वर को उसके बेटे को इस संसार में भेजने के लिए धन्यवाद करना चाहिए।

Excercies

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आया मसीह दुनिया में तू पापियों को बचाने को लाए इमान जो बेटे पर करेगा पार इस दुनिया को । बैतलहम के मैदानों में गड़रिये रात सो रहे थे सुना फरिश्तों की जुबान पैदा हुआ है प्रेम निधान