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परमेश्वर स्वर्ग में है और हम देख नहीं सकते । परमेश्वर ने अपने बेटे को संसार में बालक के रूप मे भेजा । बहुत समय पहले परमेश्वर ने इब्राहिम से कहा था कि उसका परिवार सारे जगत के लोगों के लिए आशिष का कारण होगा। सदियों बाद परमेश्वर ने इब्राहिम के वंश दाउद को प्रतिज्ञा दी कि उसके बेटों मे से एक सर्वदा का राजा ठहरेगा। परमेश्वर ने अपने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहलाया कि बैतलहम में महान परमेश्वर कहलानेवाला एक बालक जन्म लेंगे । (यशा 9:6) ( मिका 5:2 )आने वाले इस राजा के विषय में बहुत कुछ कहा गया था, और लोग उसके आगमन की बाट जो रहे थे। उसे भविष्यद्वक्ता ''अभिषिक्त या''(मसीह) भी कहते थे । जब सही समय आया परमेश्वर ने नासरत की एक कुंवारी जिसका नाम मरियम था, उसे "मसीहा " की मॉ होने के लिए चुना। मरियम की मंगनी यूसुफ नाम एक बढ़ई से हुई थी। इसलिए परमेश्वर ने अपने दूत जिब्राईल को उनके पास परमेश्वर की योजना समझाने के लिए भेजा। जिब्राईल मरियम को दर्शन देकर उसे बताया कि परमेश्वर ने उसके लिए बड़ा आशिष रखा है। वो उद्धारकर्ता की मॉ चुनी गई थी। मरियम ने कहा, ” आप के कहने के अनुसार ही हो “ तब स्वर्गदतू उसके पास से चला गया। फिर जिब्राईल यूसुफ को ये कहने के लिए कि मरियम का पहला बेटा प्रतिज्ञा किया हुआ उद्धारकर्ता होगा उसके सामने प्रगट हुआ। यूसुफ और मरियम दोनो दाऊद के घराने के थे। स्वर्गदतू ने यूसुफ को कहा कि बालक का नाम यीशु रखा जाए। जिसका अर्थ है उद्धारकर्ता!
उद्धारकर्ता जन्मा, दाऊद की नगरी चरवाहों को मिली यह, बड़ी खुशखबरी। फरिश्तों ने सुनाया, आनंद का समाचार कपड़े में लिपटा है, चरनी में तारणहार दूतों का दल गाते, परमेश्वर की स्तुति जिनसे वह है प्रसन्न, उनको मिले शांति।