Audio | Prayer | Song | Instrumental |
---|---|---|---|
आज हम एक ऐसे भविष्यद्वक्ता के विषय में सीखेंगे जो परमेश्वर की आज्ञा न मानकर भाग गया और उसका नतीजा क्या हुआ। ये उन दिनों की बात है जब कसदी बहुत शक्तिशाली थे। उनकी राजधानी नीनवे शहर थी। वह एक महान शहर था। उस नगर में रहनेवालेअति दुष्ट थे और परमेश्वर उन्हें नाश करने पर था। इसलिए परमेश्वर ने योना भविष्यद्वक्ता से कहा कि वह नीनवे को जाकर उसके खिलाफ प्रचार करें। परन्तु योना नीनवे के लोगों को प्रचार नहीं सुनाना चाहता था। इसलिए वह प्रभु से भाग जाना चाहता था। वह यापो के एक बन्दरगाह को गया और तर्शीश जानेवाली जहाज पाकर, किराया देकर उसपर चढ़ गया। उसने सोचा कि इस तरह वह परमेश्वर की उपस्थिती से बच जाएगा। परमेश्वर उसपर दृष्टि लगाए था। परमेश्वर ने समुद्र में भयंकर आंधी चलाई और जहाज टूटने पर था। तब मल्लाह डर गए। हर एक ने अपने ईश्वर को पुकारा। परन्तु आंधी में कोई सुधार नहीं हुआ। तब वे जहाज को हल्का करने के लिए सामग्री को फेंकने लगे। परन्तु योना का क्या हुआ? वह जहाज के नीचले हिस्से में जाकर सो गया। तब मांझी ने उस से कहा, “तू नींद में पड़े हुए क्या करता है ? उठ और अपने देवता को पुकार, हो सकता है कि वह तेरी सुन ले और हम नाश होने से बच जाए।” यदि योना परमेश्वर के साथ चल रहा होता तो खतरे के समय में सहायता के लिए प्रार्थना करता, परन्तु वह तो परमेश्वर की आज्ञा उल्लंघन करके भाग रहा था इसलिए वह मांग नहीं कर सकता था। जब हम पाप को दिल में जगह देते हैं परमेश्वर हमारी नहीं सुनता है। (भजन 66:18) आंधी चलती रही। मल्लाहों ने ये जानने के लिए कि ये सब किस के कारण हो रहा है चिट्टियां डाली। योना के नाम की चिट्टी निकली। तब सब ने उस से पूछा कि वह कौन है और उसने क्या किया है? योना ने कहा, “मैं यहूदी हूँ, और आकाश, समुद्र और भूमि को बनानेवाले परमेश्वर का उपासक हुं।” जब उसने कहा कि वह परमेश्वर से भागकर जा रहा है वे डर गये क्योंकि जानते थे कि परमेश्वर की पहुँच से कोई भाग नहीं सकता। योना ने कहा, “ये आंधी मेरे कारण उठी है। तुम मुझे समुद्र में डाल दो और समुद्र शान्त हो जाएगा।” मल्लाहो ने किनारे जाने की कोशिश की। परन्तु वे किनारे पहुंच न सके क्योंकि आंधी बढ़ती गई। आखिर उन्होंने उसे समुद्र में फेंक दिया ओर समुद्र शान्त हो गया। परमेश्वर ने एक बड़ी मछली को आज्ञा दी थी कि वो योना को निगल ले। योना मछली के पेट में चला गया, और तीन दिन और रात वहीं पड़ा रहा। उस परिस्थिती में वह प्रार्थना करने लगा। वह मन फिराकर परमेश्वर के पास लौट आया। परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना सुनी और मछली को आज्ञा दी, तब मछली ने योना को सूखी भूमि पर उगल दिया। परमेश्वर ने फिर योना से कहा, “नीनवे को जाकर उसके विरुद्ध प्रचार कर। लोगों से कह कि चालीस दिनों मे नगर नाश किया जाएगा।” इस बार योना ने परमेश्वर के कहने के अनुसार किया। जब नीनवे के राजा और लोगों ने योना को नगर के नाश होने का प्रचार करते सुना तों उन्होंने उसकी बातों पर विश्वास किया। उन्हों ने उपवास और प्रार्थना करके दुष्टता से मन फिराया। परमेश्वर ने उनके पश्चताप को देखकर उनपर तरस खाया और उन्हे नाश नहीं किया। नगर नाश नहीं किया गया इसलिए योना को बहुत गुस्सा आया। वह चाहता था कि परमेश्वर नीनवे को नाश करें। परन्तु परमेश्वर तरस खाने और क्षमा करनेवाला परमेश्वर है। वह हमारे सारे पापों को क्षमा करने के लिए तैयार है। हमे भी दूसरों को क्षमा करना चाहिए।
योना (2) तू कहाँ चला ? मैं जाता हूँ तर्शीश को योना (2) कहना क्यों नहीं माना नहीं चाहता जाना नीनवे को योना (2) कहाँ है तू सो रहा जहाज में बेफ़िकर हूँ योना (2) समुद्र हो शांत क्या करूँ समुद्र में फेंको तो मुसीबत दूर हो योना (2) क्या कर रहा तू ? मछली की उलटी में लोट पोट योना (2) अब क्या करेगा तू नीनवे जाऊंगा, मानूँगा प्रभु की शर्त योना (2) क्यों है गुस्सा नीनवे पछताया और प्रभु दयालु योना (2) तुम समझे क्या बराबर सबको बचाना चाहता प्रभु