Audio | Prayer | Song | Instrumental |
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पिछले सप्ताह हमने तीन जवान पुरुषों के विषय में देखा जिन्होंने सोने की मूरत के सामने दण्डवत करने से इनकार किया और किस तरह परमेश्वर ने आश्चर्यकर्म के द्वारा उन्हें बचाया। उन तीनो जवानों का एक मित्र दानिय्येल था। वह भी एक यहूदी गुलाम था जो जीवित परमेश्वर को प्रेम करता था और उसी की सेवा करता था। उसे भी उन तीनों के समान बाबुल की रीतियों को सिखाया गया था। वह परमेश्वर का जन था जिसे सपनों का अर्थ समझाने का गुण था। उसका सरकार में बहुत उंचा पद था। नबूकदनेस्सर और उसके बेटों के राज्य के पश्चात दारा बाबुल का राजा बना। उसने अपने महान राज्य की देखभाल करने के लिए तीन अधिकारियों को ठहराया। उनमें दानिय्येल सब से बड़ा था। उसे दूसरों से अधिक माना जाता था क्योंकि उसमें उत्तम आत्मा थी। इसलिए बाकि के अधिकारी उससे जलन रखते थे। उन्होंने उसे मार डालने की योजना बनाई। उन्हों ने उसके खिलाफ शिकायत करने का प्रयत्न किया परन्तु उस पर कोई दोष नहीं लगा सके। उन्हे उस में कोई खोट न मिली क्योंकि वह विश्वासयोग्य था और उसके काम में कोई दोष नहीं था। अन्त मे उसके विरोधियों ने परमेश्वर के नियम के संबध मे उस पर आरोप लगाने की साजिश की। सो वे एक साथ होकर राजा के पास जाकर कहने लगे, “हे राजा दारा तू सदा जीवित रह! राजा को एक ऐसा आदेश देना चाहिए कि यदि कोई आनेवाले 30 दिनों तक आप को छोड़ ओर किसी मनुष्य या ईश्वर से प्रार्थना करे तो वह सिंहों की मांद में डाला जाए।” ये अधिपति अच्छी तरह से जानते थे कि दानिय्येल हर रोज तीन बार प्रार्थना किया करता है । राजा उनकी योजना के विषय में अनजान था और उनकी बात मान ली। उसने ऐसा आदेश दिया और उसे लिखवाया ताकि वह बदला न जाए। आदेश निकलने के बाद लोगों ने किसी भी वस्तु के लिए राजा को छोड़ न तो मनुष्य से और न ही अपने देवताओं से कुछ माँगा। दानिय्यल को इस आदेश के विषय में जानकारी मिलने के बाद वह अपनी उपरी कोठरी में गया जिसकी खिडकियां यरुश्लेम की ओर खुलती थी। दिन में तीन बार उसने पहले के समान घुटना टेककर परमेश्वर से प्रार्थना किया और परमेश्वर का धन्यवाद किया। अधिपतियों ने उसे प्रार्थना करते देखकर राजा के पास जाकर कहा, कि दानिय्येल को सिंहों की मांद मे फेंके जाने की आज्ञा दें। यह सुनकर राजा को बहुत दुख हुआ। वह नहीं चाहता था कि दानिय्येल के साथ कोई हानि हो। लेकिन वह अपना बनाया हुआ नियम बदल नहीं सकता था। दानिय्येल सिंहों की मांद में डाला गया। राजा ने दानिय्येल से कहा, “जिस परमेश्वर की तू सेवा करता है वही तेरी रक्षा करे।” एक पत्थर को लाकर सिंहों की मांद पर रखा गया, और राजा ने उसे अपनी ही अंगूठी से मुहर लगाई। उस रात राजा सो नहीं पाया। पौ फटते ही राजा सिंहों की मांद पर गया, और दुख भरे स्वर में पुकार कर कहा, “हे जीवित परमेश्वर के सेवक दानिय्येल, क्या तू जिस परमेश्वर की सेवा करता है उसने तुझे सिंहों से बचाया है?” भीतर से जवाब सुनकर वह चकित हुआ। दानिय्येल ने उससे चिल्लाकर कहा, “हे राजा मेरे परमेश्वर ने अपना दूत भेजकर सिंहों के मुंह बंद कर दिया ताकि वे मुझे हानि न पहुंचा सके, क्योंकि मै उसकी दृष्टि में निर्दोष पाया गया हूँ, और न ही मैने आप के खिलाफ कोई अपराध किया है।” यह सुनकर राजा आनन्दित हुआ। उसने अपने सेवकों को आज्ञा दी कि दानिय्येल को बाहर निकाला जाए। परमेश्वर पर विश्वास रखने के कारण दानिय्येल कोई हानि नहीं हुई। राजा ने आज्ञा दी कि दानिय्येल के शत्रु जिन्होंने उसके विरुद्ध यह गुप्त योजना बनाई थी उन्हे सिंहों की मांद में डाल दिया जाए। उनके नीचे पहुंचने से पहले ही सिंहों ने उन्हे पकड़कर उनको हडिृडयों समेत चबा डाला। राजा दारा ने आदेश दिया कि उसके सारे राज्य में सर्वदा राज करनेवाले दानिय्येल के परमेश्वर की आराधना की जाए। वह ऐसा परमेश्वर है जो अपने सन्तानों की रक्षा कर सकता है।
प्रार्थना न करो, तो करे क्या प्रार्थना के सिवाय, और करे क्या मेरे रूह की धड़कन, है प्रार्थना ना होना विश्वासी, ईश्वर से कभी जुदा। शेर की माँद में भी, परखा गया फिर आग की भट्टी, में भी देखा गया फरिश्तों का साथ, है कितना मीठा यीशु के संग परीक्षा है, प्रार्थना का मौका । दुश्मनों क साजिश, हुई नाकाम धोखा देने वाले, हुए खुद ही शिकार करता है उन्हे ऊंचा, ठीक समय पर जो परमेश्वर का सदा, करते है आदर।