Audio | Prayer | Song | Instrumental |
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चालीस वर्ष की आयु तक मूसा राजा के महल में रहा। उसने मिस्र देश की विद्या और ज्ञान को प्राप्त किया परन्तु उनकी मूरतें या देवताओं की उपासना कभी नहीं की। वह इस्राएल के जीवित परमेश्वर पर विश्वास करता था, और परमेश्वर को न जानने वालों के साथ आरामदायक जीवन बिताने से अच्छा अपने लोगों की सहायता करके परमेश्वर की आशिषों को पाना उत्तम जानता था। एक दिन उसने देखा कि एक मिस्री किसी यहूदी को मार रहा है। उसने सोचा कि कोई देख नहीं रहा है। उसने उस मिस्री को मार डाला और उसकी लोथ को बालू में दफना दिया। अगले दिन उसने दो इब्रियों को लड़ते देखा, और दोषी से पूछा, “तुम अपने साथी इस्राएली को क्यों मार रहे हो?” उस व्यक्ति ने कहा! “तुम्हें हमारा न्याय करने को किसने ठहराया है? क्या तुम उस मिस्री के समान मुझे भी मार दोगे।” तब मूसा डर गया और सोचने लगा कि मैंने जो किया है सब को पता चल गया होगा। जब फिरौन ने ये बात सुनी उसने मूसा को मार डालना चाहा, परन्तु मूसा वहां से भागकर मिद्यान को चला गया। वहां वह परमेश्वर की आराधना करनेवाले एक याजक के साथ रहा। उसने मूसा का ब्याह अपनी बेटी से करवाया, और मूसा अपने ससुर की भेड़ बकरियों को चराया करता था। कई वर्षां के बाद मिस्र का राजा मर गया और उसकी गद्दी पर एक नया फिरौन बैठा। मूसा चालीस वर्षों तक मिद्यान में रहा। तब होरेब पर्वत पर परमेश्वर ने मूसा से बातें की। एक दिन मूसा ने देखा कि एक झाड़ी में आग लगी है। परन्तु झाड़ी जल नहीं रही है। जब मूसा उस झाड़ी के करीब गया तो उसने एक आवाज सुनी। उस झाड़ी मे से परमेश्वर उस से बात कर रहा था। परमेश्वर ने कहा! “करीब मत आ, तू पवित्र भूमि पर खड़ा है, अपनी जूतियां उतार दे। मै तेरे पिता, इब्राहिम, इसहाक और याकूब का परमेश्वर हूं।” मूसा डर गया और परमेश्वर की उपस्थिति के प्रकाश के तेज से अपना मुंह छिपाया। प्रभु ने कहा, “मैने मिस्र में अपने लोगों के कष्ट को देखा है। मैंने उनकी दुहाई को भी सुना है जो वे अपने सतानेवालों के कारण करते हैं, और मुझे उनकी चिन्ता है। अब मै तुझे फिरौन के पास भेजता हूं ताकि तू इस्राएल के सन्तान को मिस्र से निकाल लाए। ” यह सुनकर मूसा चकित हुआ, वह मिस्र जाने से डरता था। उसने कहा! मैं ऐसा नहीं कर सकता, मुझ पर तो इस्राएली विश्वास नहीं करेंगे । वे पूछेंगे कि तुम्हे किसने भेजा है? परमेश्वर ने उस से कहा, “तू जाकर उन से कह, कि उनके पुरखाओं के परमेश्वर ने तुझे भेजा है। प्राचीनों से कहना कि मैने तुझे दर्शन देकर कहा है कि मैं उन्हें मिस्र से निकालकर ऐसी भूमि में बसाउंगा जहां दूध और मधू बहता है। वे तेरी बातों को मानेंगे, और प्राचीनों को लेकर तुझे मिस्र के राजा के पास जाना है। फिरौन से कहना कि इस्राएलियों के परमेश्वर ने हमसे बातें की है, कृप्या हमे मरुभूमि में जाकर परमेश्वर के सामने बलि चढ़ाकर आराधना करने दो । मैं जानता हूं कि फिरौन तुम्हारी बात नहीं मानेगा, ताकि मैं उसे सजा दूं और वह तुम्हें भेज देगा।” परमेश्वर ने मूसा को दो चिन्ह दिए ताकि वो इस्राएलियों और फिरौन को दिखा सके कि परमेश्वर उसके साथ है। पहले तो परमेश्वर ने मूसा से कहा कि उसके हाथ की लाठी जमीन पर फेंक दे, और जब उसने लाठी फेंक दी तो वह सांप बन गई। तब परमेश्वर ने उसे कहा, कि सांप को पूंछ से पकड़ ले। जब मूसा ने वैसा किया तो सांप फिर लाठी बन गया। दूसरे चिन्ह के लिए परमेश्वर ने मूसा से कहा कि अपना हाथ छाती पर रखकर निकाल, और जब उस ने ऐसा किया तो उसका हाथ कोढ़ से श्वेत हो गया। तब परमेश्वर ने उसे फिर अपना हाथ छाती पर रखने को कहा, और जब उसने बाहर निकाला तो वह ठीक हो गया। फिर परमेश्वर ने कहा कि “यदि ये दो चिन्हों को देखकर भी वे विश्वास न करे तो नदी का पानी लेकर भूमि पर डाल देना और वह लहू बन जाएगा।” तब भी मूसा ने परमेश्वर से बिनती की, कि “मै ठीक तरह से बोल नहीं सकता इसलिए और किसी को भेज । ” इस कारण परमेश्वर का क्रोध मूसा पर भड़क उठा, परन्तु परमेश्वर ने मूसा के लिए बातें करने हेतु मूसा के भाई हारुन को ठहराया। परमेश्वर ने मूसा से कहा कि “मैं तेरे और हारुन के मुँह के साथ रहूँगा और तुम्हें क्या कहना है सिखाउंगा।”
जलती झाड़ी की ओर देखो (3) जो न भस्म हो पाक है जगह, जूते उतारो (3) झाड़ी कहती सुनो मैं हूँ खुदा, अब्राहम का, मैं हूँ खुदा,इसहाक का मैं हूँ खुदा,याकूब का भी झाड़ी में खुदा ने कहा ।