Class 11, Lesson 8: बाईबल (परमेश्वर का वचन)

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बाईबल (परमेश्वर का वचन) परमेश्वर ने इस जगत को तीन बेशकीमती उपहार दिये हैः- प्रथम- अपना एकलौता बेटा प्रभु यीशु मसीह जिसे उसने इन्सान के पापों के उद्धार के लिए जगत में भेज दिया। दूसरा- पवित्र आत्मा परमेश्वर को। तीसरा- अपने वचन को, वो भी हमारी भाषा में। परमेश्वर का वचन इन उद्देश्यों के लिए दिया गया है:- (2 तिमुथियुस 3:16-17) सम्पूर्ण पवित्र शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश और समझाने और सुधारने और धार्मिकता की शिक्षा के लिए लाभदायक है, ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने और हर एक भले काम के लिए तत्पर हो जाएं। परमेश्वर के वचन की सामर्थ ( इब्रानियों 4:12 ) में बताई गई है। जिन्होंने सम्पूर्ण पवित्र शास्त्र को समझ लिया उन्होंने परमेश्वर की मनसा को समझ लिया। बाईबल 42 लोगों के द्वारा लगभग 1500 सालों से भी ज्यादा समय के बीच में लिखी गई है। भले ही इसको अनेक अलग-अलग लेखकों ने लिखा हैं पर इस पुस्तक का असली लेखक पवित्र आत्मा परमेश्वर ही है। जैसे एक बुजुर्ग और बिमार पिता किसी अन्य व्यक्ति से पत्र लिखवाता है वैसे ही पवित्र आत्मा परमेश्वर ने अनेक विश्वासयोग्य भक्तों के द्वारा इस पुस्तक को लिखवाया है। बाईबल 66 किताबों का जोड़ है। आदम से लेकर प्रभु यीशु मसीह तक का इतिहास पुराने नियम के नाम से जाना जाता है। प्रभु यीशु मसीह से लेकर जगत के अंत तक की बातें नए नियम के रूप में पहिचानी जाती है। पुराना नियम खास कर यहुदियों के लिए था। लेकिन नया नियम सारे संसार के पापों के बारे में यानि मोक्ष की खुशखबरी है। एक व्यक्ति जब प्रार्थना करता है तो वह परमेश्वर से बातें करता है और परमेश्वर भी हमसे पवित्र आत्मा की अगुवाई से वचन के द्वारा बातें करता हैं। जैसे मशीनें खरीदते समय उसके साथ Owner’s manual यानि मार्ग दर्शन की एक किताब मिलती है वैसे ही एक व्यक्ति या विश्वासी के लिए परमेश्वर के विषय में एक मार्गदर्शक किताब है "बाईबल"। यह एक व्यक्ति को उद्धार पाने के लिए, पवित्र जीवन बिताने के लिए, परिवार चलाने के लिए, कलीसिया चलाने के लिए और सुसमाचार सुनाने के लिए परमेश्वर का संविधान (नियम) है। जैसे एक न्यायधीश (जज) अपनी मर्जी से नहीं परन्तु कानून के आधार पर फैसला लेता है इसी तरह पवित्र जीवन, पारिवारिक जीवन और कलीसिया को परमेश्वर के द्वारा दिये गए कानून के अनुसार चलाना बहुत जरूरी है। (भजन संहिता 119:11) में दाऊद ने इस प्रकार कहाः- "मैंने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है कि तेरे विरूद्ध पाप ना करूं"। परमेश्वर के वचन को अपने दिल की पट्टियों पर छोटी उम्र ही से लिखना बहुत जरूरी है। हमारे प्रभु यीशु मसीह को जब शैतान ने परीक्षा दी तो इसी परमेश्वर के वचन को याद रखने के द्वारा ही प्रभु यीशु मसीह ने शैतान को हराया। न्याय के दिन स्वर्ग में परमेश्वर के वचन के द्वारा ही हमारा न्याय किया जाएगा क्योंकि यह किताब स्वर्ग में स्थिर है। जैसे परमेश्वर सिद्ध है वैसे ही उसका वचन भी सिद्ध है सो किसी भी व्यक्ति को इस किताब में कुछ जोड़ने या घटाने का अधिकार नहीं है। ऐसा करनेवालो के लिए सजा बताई गई हैं। परमेश्वर की मनसा को वचन पढ़ने और प्रार्थना करने के द्वारा समझना ही सफल मसीही जीवन का राज है। धन्य है वह जो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता और उसी पर दिन रात ध्यान करता रहता है, इसलिए जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है।

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यह बाइबल मेरी जिन्दगी है, यह बाइबल खुदा का कलाम, खुदा ने जहाँ को दिया है बड़ा बेशकीमत इनाम, यह बाइबल -3 यह बाइबल खुदा का कलाम । 1 यह बाइबल हमें है बताती, गुनाहों से तुम दूर रहना, यह बाग-ए-अदन एक दुनिया, गुनाहों के फल तुम न चखना, यह बाइबल है एक ढाल उसकी, खुदा का है ये इन्तजाम । 2 है मूसा का फरमान इसमें, है दाऊद का ईमान इसमें, खुदा की मुहब्बत बताती, है पतरस का अरमान इसमें, गुनाहों से माफी की कुन्जी, मसीहा की है ये जुबान । 3 मसीहा जो दुनिया में आया, नया एक पैगाम लाया, फतह पाई मौत पे उसने, है शैतान से हमको बचाया, हमेशा का देके यह जीवन, खुशी और दिया इत्मिनान ।