Class 11, Lesson 7: प्रार्थना

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प्रार्थना प्रार्थना एक महान हथियार है और परमेश्वर के बच्चों का विशेष अधिकार है। प्रार्थना के द्वारा परमेश्वर यह चाहता है कि एक विश्वासी परमेश्वर के साथ बातचीत करे, परमेश्वर की स्तुति करे, अपने जीवन मे मिले हुए उपकारों के लिए परमेश्वर को धन्यवाद दे, अपनी गलतियों की माफी मांगकर शुद्ध हो जाए और अपनी जरूरतों को धन्यवाद के साथ अर्पण करे। एक विश्वासी की आत्मिक उन्नति के लिए शैतान,संसार एवं शरीर बाधा है इसलिए प्रार्थना के बिना यह लड़ाई जीतना असंभव है। प्रार्थना करने के लिये जब हम घुटना टेकते है तो शैतान की सेना डर जाती है। प्रभु यीशु मसीह ने अपने जीवन काल में प्रार्थना के लिये बहुत ज्यादा समय निकाला था। अगर उसने परमेश्वर का पुत्र होकर भी प्रार्थना के लिये इतना ज्यादा समय अलग किया तो मुझे और आपको भी ज्यादा समय निकालना जरूरी हैं। प्रभु यीशु मसीह ने प्रार्थना करना सिखाया (मत्ती:6:9-13) इसी रीति से प्रार्थना करना अच्छा है। लेकिन इसको बार-बार दोहराने से नहीं, पर इन्हीं विषयों को अपना बनाकर प्रार्थना करना उचित है। यानि इन बातों को ध्यान में रखकर प्रार्थना करें। प्रार्थना पिता परमेश्वर से करनी चाहिए। परमेश्वर की स्तुति के लिए पहला स्थान देना जरूरी है। अपने जीवन की गलतियों की क्षमा मांगनी जरूरी हैं। (1युहन्ना 1:9) अपनी जरूरतों के लिए प्रार्थना करनी उचित है। प्रभु आपकी जरूरतों को जानता है इसलिए आपके जैसे और तकलीफ में फंसे हुए लोगों के लिए प्रार्थना करना ज्यादा उचित है। परमेश्वर को धन्यवाद देना कभी नही भूलना चाहिऐ। प्रार्थना प्रभु यीशु मसीह के नाम में ही स्वीकार की जाती है। (1 तिमुथियुस 2: 5) प्रभु यीशु मसीह को ग्रहण किया हुआ हर व्यक्ति अपनी जरूरतों के अनुसार विश्वास से इसी प्रकार प्रार्थना कर सकता है। प्रार्थना करने का एक नमूना नीचे दिया गया है। हे मेरे स्वर्गीय पिता परमेश्वर! मैं तेरा धन्यवाद करता हूं.........प्रभु तू कितना महान है.....तूने तेरे लिए जो उपकार किए है उनके लिए मैं तुझे धन्यवाद देता हूं.....प्रभु मेरे जीवन में यह-यह गलतियां हुई है उनके लिए मैं माफी मांगता हू.....प्रभु मेरी जान पहचान और कलीसिया के विश्वासियों की इन जरूरतों को आपके सामने रखता हूं......प्रभु मेरे व्यक्तिगत जीवन में इन-इन चीजों की जरूरत है...... तेरी ईच्छा के अनुसार मुझे दीजिये.....यह प्रार्थना प्रभु यीशु मसीह के नाम में धन्यवाद के साथ अर्पण करता हूं। स्वीकार कीजिए स्वर्गीय पिता परमेश्वर! आमीन! इस प्रार्थना में जहां खाली जगह छोड़ी गई है वहां पर अपनी जरूरत को जोड़कर आप प्रार्थना कर सकते हैं। प्रार्थना का उत्तर मिलने में रूकावटे पूरे विश्वास की कमी प्रार्थना का उत्तर मिलने में पहली रूकावट है। (फिलिप्पियों 4: 6) दूसरों को क्षमा ना देने वाला मन। (luxury)उड़ाऊ स्वभाव से मांगना। आपके मन में ऐसे पाप है जिसकी आपने परमेश्वर से क्षमा नहीं मांगी, तौभी आपकी प्रार्थना नहीं सुनी जाएगी। यदि आप नीचे लिखी गई तीन रीति से प्रार्थना में परमेश्वर के साथ समय बिताते है तो आपकी तरक्की सुनिश्चित है। व्यक्तिगत प्रार्थना - बाहरी बाधाओं को हटाकर आपके और परमेश्वर के बीच में शांति से समय बिताना है। पारिवारिक प्रार्थना - सुबह और शाम परिवार वालों के साथ समय अलग करके बिताना है। कलीसिया की प्रार्थना सभा - के लिए कलीसिया के लोगों को कम से कम हफते में एक बार जरूर इकट्ठे होना चाहियें। एक छोटे बालक जैसे यीशु मसीह की इन बातों पर विश्वास करों। "मांगों तो तुम्हें दिया जाएगा, ढूंढों तो तुम पाओगे, खटखटाआतो तुम्हारे लिए खोला जाएगा। क्योंकि प्रत्येक जो मांगता है उसे मिलता है, और जो ढूंढता है वह पाता है, और जो खटखटाता है उसके लिए खोला जाएगा"। ( मत्ती 7:7-8 )

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पवित्र समय प्रार्थना का,सांसारिक बातें छोडूंगा, और स्वर्गीय पिता के सन्मुख, हृदय अपना उण्डेलूंगा कठिन विपत्ति के समय, वही तो एक सहायक है, शैतान के जाल से बचता हूँ, जब प्रार्थना करके जागता हूँ। 2 पवित्र समय प्रार्थना का, जब जान के उसकी सत्यता, पिता से विनती करता हूँ, आशीष की आशा करता हूं, मुझे प्रभु बुलाता है, समझाने क्या अनुग्रह है, चिंताएं सारी प्रार्थना कर, डाल देता हूं मैं उसी पर। 3 पवित्र समय प्रार्थना का, भरोसा उस पर सदा का, है मेरा जब तक कर विश्वास, मैं न जा पाऊँ तेरे पास इस देह को छोड मैं जाऊंगा, कि स्वर्ग में मुकुट पाऊंगा, फिर देख के सामने ईश्वर को, पाऊंगा प्रार्थना के फल को।