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आराधना इन्सान की सृष्टि करने का प्रथम लक्ष्य परमेश्वर की आराधना है। परमेश्वर ने इन्सान को अपने ही स्वरूप में बनाया, जबकि अन्य जीव जन्तुओं को अपने मुंह के वचन के द्वारा बनाया और उनमें आत्मा नही है; इसलिए केवल मनुष्य ही आत्मिक बनकर परमेश्वर को आराधना चढ़ा सकता हैं। परमेश्वर स्वर्ग पर से दृष्टि करके धरती पर ढूंढता है कि कोई परमेश्वर का खोजने वाला है या नहीं। (भजन संहिता 53: 2) और उन लोगों में से भी परमेश्वर अपने लिए सच्चे आराधकों को ढूंढता है (युहन्ना:4: 23)। प्रभु यीशु मसीह ने एक सामरी स्त्री से कहा- ‘परन्तु वह समय आता है वरन अब भी है जिसमें सच्चे भक्त पिता की आराधना आत्मा और सच्चाई से करेंगे, क्योंकि पिता ऐसे ही आराधको को ढूंढता है।’ परमेश्वर को भाती हुई आराधना परमेश्वर की आराधना एक विश्वासी के जीवन का सबसे अहम कर्तव्य है। स्वर्ग मे फरिश्ते निरंतर परमेश्वर के सामने झुककर उसको आराधना चढ़ाते है पर परमेश्वर ने हम निकम्मों को प्रेम किया और हम उसे उसके प्रेम के लिए आराधना चढ़ाए यही उसे भाता है। पुराने नियम के भक्तों ने अलग-अलग चीज़ें अर्पित करके परमेश्वर को आराधना चढ़ाई और परमेश्वर ने उसे ग्रहण भी किया। लेकिन उसमें जो प्रेम था वह घटता गया, क्योकि लोग अपने रीति रिवाज के लिए आराधना करने लगे। और परमेश्वर ने उसे ना पसंद करते हुए कहा कि (भजन संहिता:50:13) "क्या मै बैल का मास खाऊं? या बकरों का लोहू पीऊं?" (भजन संहिता:50:14) के अनुसार परमेश्वर प्रेम से अर्पित किये गये धन्यवाद बलि को ही पसंद करता है।" (भजन संहिता:51:17) के अनुसार "टूटा हुआ मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है।" अन्यजाति लोगों को आराधक बनाने के लिए परमेश्वर की योजना पुराने नियम में सिर्फ लेवी गोत्र के लोग ही याजक बनते थे। उन्हीं को ही परमेश्वर के मंदिर में सेवा करने की इजाजत थी, और उसमें भी सिर्फ महायाजक मंदिर के महा पवित्र स्थान में साल में एक बार जाकर परमेश्वर की अराधना करते थे। लेकिन प्रभु यीशु मसीह के सिद्ध बलिदान के द्वारा हमें यह अधिकार मिला कि अन्यजाति लोग भी परमेश्वर को आराधना चढ़ा सके। प्रभु यीशु के क्रूस पर जान देने के बाद पवित्र मंदिर का पर्दा ऊपर से नीचे तक फटकर दो भाग हो गया। स्वर्ग इस घटना के द्वारा हमें बताता है कि प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हम पवित्र होकर परमेश्वर की हजूरी में प्रवेश कर सकते है। (इब्रानियोः 10: 19) इसीलिए हे भाईयों, जब हमें यीशु के लोहू के द्वारा उस नये और जीवते मार्ग से पवित्र स्थान में प्रवेश करने का हियाव हो गया है। (1 पतरसः 2: 9) पर तुम एक चुना हुआ वंश, और राज पदधारी याजको का समाज, और पवित्र लोग और (परमेश्वर की) निज प्रजा हो, इसीलिए कि जिसने तुम्हें अंधकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, उसके गुण प्रगट करो। (इब्रानियो 9: 14-15) तो मसीह का लोहू जिसने अपने आप को सनातन आत्मा के द्वारा परमेश्वर के सामने निर्दोष चढ़ाया, तुम्हारे विवेक को मरे हुए कामों से क्यों ना शुद्ध करेगा ताकि तुम जीवते परमेश्वर की सेवा करो। इसी कारण वह नई वाचा का मध्यस्थ है, ताकि उसकी मृत्यु के द्वारा जो पहली वाचा के समय के अपराधों से छुटकारा पाने के लिए हुई है, बुलाए हुए लोग प्रतिज्ञा के अनुसार अनन्त मीरास को प्राप्त करें। प्रभु यीशु मसीह हमारे लिये सिद्ध बलिदान हुआ, इसीलिए हमें उस प्रभु को आराधना चढ़ाना जरूरी है। हमें आत्मा और सच्चाई में अराधना करने के लिए इन बातो को ध्यान में रखना चाहिएः- हम नए जन्म के द्वारा अपने पापों से मुक्ति पायें। हम प्रभु यीशु की बपतिस्मा के लिए दी गई आज्ञा को पालन करें। अपनी गलतियों को समझने के लिए प्रतिदिन पवित्र वचन को पढ़े। पवित्र आत्मा से प्रार्थना करे कि वह हमें अपने गुप्त पापों को जानने के लिए मद्द करे। जीवन में गलती हो जाने के बाद जल्दी से उसे मानें और प्रभु से क्षमा मांगे। अपने परमेश्वर से अपने सारे मन, सारे प्राण, सारी बुद्धि और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखें। (मरकूसः12:30)
आओ हम यहोवा का धन्यवाद करें, अपने सारे हृदय से वन्दना करें, उसके फाटकों में स्तुति करें और ललकारे । (2) 1 जिसने बनाया हमें, जो है हमारा आधार , जिसने दी हमको श्वांस जो है हमारा उद्धार उसकी हो जय जय हो आराधना, जो है सभों का प्रधान। 2 अपने सारे तन मन से हम उसकी महिमा करें, जो है शिफा और नज़ात, उसकी प्रशंसा करें, वह है जग का त्राता और ताराहार उसकी हो जय जय सदा।