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सफल मसीही जिन्दगी उद्धार मिलने के बाद हमारे पुराने सारे पाप माफ किए जा चुके है। लेकिन भविष्य में नये जीवन में जो गलतियां हो सकती है उनकी माफी कैसे मिलेगी? क्या हम प्रभु यीशु मसीह के जैसे पवित्र बन सकते है? व्यक्तिगत जीवन में पराजय होने के बाद अनेक विश्वासी दुखी होकर हिम्मत हारकर बैठ जाते है, लेकिन प्रभु का वचन हमसे एक विजयी मसीही जीवन का वादा करता हैं। मिसाल के तौर पर - जब तक एक खाली गिलास में कोई ठोस वस्तु नहीं डाली जाती तब तक उसमें ना चाहते हुए भी वह हवा से भरा रहता है। ठीक वैसे ही ना चाहते हुए भी पाप का स्वभाव हममें तब तक वास किये रहता है जब तक कि हम परमेश्वर के वचन से ना भर जाए और अपने आप को उसकी धन्य सेवा में लीन ना कर लें। (1 युहन्ना 5:4) "क्योंकि जो कुछ परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है, वह संसार पर जय प्राप्त करता है, और वह विजय जिस से संसार पर जय प्राप्त होती है हमारा विश्वास हैं।" अपने द्वारा किये गये कर्मों का भरोसा छोड़कर जो व्यक्ति प्रभु यीशु मसीह की बलि पर भरोसा करके उद्धार पाता हैं, तो उसे पूरे मसीही जीवन के लिए भी उसी प्रभु पर ही भरोसा रखना चाहिये। देखो एक भारी हवाई जहाज कैसे उड़ता है। उसके वजन से भी अधिक ताकत वाला इन्जन उसको उड़ा ले जाता है। ठीक इसी तरह परमेश्वर का अनुग्रह हमारी निर्बलताओं में प्रगट हो जाता है। ( रोमियों 5:20 ) (यूहदा 1: 24) के अनुसार एक व्यक्ति को पिता परमेश्वर के सामने निर्दोष और मगन होकर पेश करने की जिम्मेदारी प्रभु यीशु मसीह स्वयं ही लेता है। प्रभु यीशु मसीह की शरण लेकर हम कितने धन्य है। (यूहन्ना 10: 10) के अनुसार प्रभु यीशु मसीह जो जीवन देता है वह बहुतायत का जीवन है। (रोमियों 6: 14) के अनुसार पाप हमारे शरीर पर राज्य नहीं करता है। (रोमियों 8: 37) के अनुसार हम प्रभु यीशु मसीह में जयवन्त से भी बढ़कर है। (1 कुरिन्थियों 1:26-27) के अनुसार परमेश्वर ने अपनी ईश्वरीय योजना के मुताबिक दुनिया के तुच्छों और नाचीजों को चुन लिया है। परमेश्वर को हमारे निकम्मेपन के बारें में पहले से ही पता है तो हम क्या कहे? सफल मसीही जीवन का यही रहस्य है कि परमेश्वर के पवित्र आत्मा को हम खुद का सम्पूर्ण समर्पण कर दे। और एक शब्द में सफल मसीही जीवन का मतलब है प्रभु यीशु मसीह के साथ जुड़ जाना। (रोमियों 6: 13) के अनुसार पाप और संसार तुम्हारे ऊपर प्रभुता नहीं कर सकते, इसीलिये पाप से लड़ना छोड़कर परमेश्वर की मृत्युंजय सामर्थ को अपने अंगों में भरने देना ही विजय का एकमात्र उपाय है। (रोमियों 6: 18) के अनुसार प्रभु हमको पाप की गुलामी से आजाद कर चुका है, तो हे प्रिय विश्वासियों! नम्रता एवं विश्वास के द्वारा इस आजादी को अपनाओं। तो इन बातों को स्मरण करके मगन हो जाओ परमेश्वर आपकी निर्बलताओं को अच्छी तरह से जानता है। प्रभु यीशु मसीह सामर्थी है, और उसका किया हुआ उद्धार भी सिद्ध है। प्रभु यीशु मसीह आज भी एक विश्वस्त बचावकर्ता के तौर पर स्वर्ग में आपके लिए पिता के समक्ष में बिनती कर रहा हैं। आपकी निर्बलताओं में आपकी सहायता करने के लिए पवित्र आत्मा परमेश्वर सर्वदा तैयार हैं। प्रभु यीशु मसीह हमारा कप्तान हैं, और उसने हर परिक्षाओं पर विजय प्राप्त की। इसीलिये जब तुम परीक्षा में पड़ो तो प्रभु यीशु मसीह की ओर ताकते हुये उनका साम्हना करों। (इब्रानियों 12: 1) अपने जीवन में परमेश्वर के वचन का मनन करो और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जाओं, ताकि पाप को आपके जीवन में जगह ना मिलें । तो आओ विजयी मसीही जीवन के लिये हम भी इन बातों की ओर ध्यान करें "कि मैं जीवित तो हूं, पर मैं नहीं बल्कि प्रभु मुझमें जीवित है ।"
तेरे साथ हम चलें, जीवन तब हमें मिले, तेरे पथ पर हम बढ़ें, मंजिल तब हमें मिले। 1 जिन्दगी में थी विरानियां और जीवन सूना सूना था, हसीन थी जहान की रोशनी, मगर मन में अन्धकार था, कैसे भूलें वह घड़ी, हमको तुम मिले मसीह, जिन्दगी में रंग भर दिया। 2 जिन्दगी की राहों में मसीह हम को तुम बढ़ाते चलो, आये गर तूफान राहों में, तुम रोशनी दिखाते चलो, बढ़ चलेंगे काफिले पा ही लेंगे मंजिलें, जब हमसफर हमारा तुम रहो।